शास्त्रों में कथा है कि जिस समय बुद्ध यह स्थिर नहीं कर पा रहे थे कि अपने उपदेशों के प्रचार में प्रयत्नशील हों या नहीं, ब्रह्मदेव ने उनसे सत्य प्रचार के लिए आग्रह किया। बुद्ध ने स्वयं पैंतालीस वर्ष तक स्थान-स्थानांतरों का भ्रमण किया और अनेक अनुयायी एकत्रित किए। इस पुस्तक में ऐसे ही भगवन बुद्धा के जीवन प्रसंगो का विवरण किया गया है|