अमृता प्रीतम की आत्मकथा ‘रसीदी टिकट’ का यह भाग, जो उनके शब्दों में उनकी जीवन का सार है। जिसमे उन्होंने पूरा विद्रोही जीवन जिया और स्याही में कलम डुबोकर बदलाव की इबारत रची। शताब्दियों तक उनका जीवन दूसरों और खास कर स्त्रियों को आजादी की उड़ान भरने की प्रेरणा देता रहेगा।