प्रस्तुत पुस्तक में यह संदेश भी छिपा है की कर्मों का फल प्रत्येक को भोगना पड़ता है, वह भले ही श्रीराम के पिता दशरत ही क्यों न हों| इस पुस्तक में श्रवण की मृत्यु के बारे में भी बताया गया है|