इस पुस्तक में अपरा और परा विद्या के रूप में अनात्म तथा आत्म-तत्त्व का विश्लेषण है। कारिका और शांकरभाष्य के सहित यह पुस्तक अद्वैत सिद्धान्त का प्रथम निबन्ध कहा जाता है। इस ग्रंथ के आधार पर भगवान् शंकराचार्य ने अद्वैत मन्दिर की स्थापना की थी।
Book Name | श्री माण्डूक्योपनिषद | Shri Mandukya Upanishad |
Author | श्री गौडपादाचार्य - Shri Gaudapadacharya |
Category | Religion Books, Hindi Books |
Book Language | हिंदी | Hindi |
Publisher | Manav Chetna Kendra |
Pages | 212 |
Country | India |
Book Size | 4 MB |
इस पुस्तक में अपरा और परा विद्या के रूप में अनात्म तथा आत्म-तत्त्व का विश्लेषण है। कारिका और शांकरभाष्य के सहित यह पुस्तक अद्वैत सिद्धान्त का प्रथम निबन्ध कहा जाता है। इस ग्रंथ के आधार पर भगवान् शंकराचार्य ने अद्वैत मन्दिर की स्थापना की थी।